हरियाणा विधानसभा का ऐतिहासिक फैसला: 52 दिन पहले हुई भंग, जानें क्या हैं इसके मायने

Haryana: हरियाणा में विधानसभा भंग होने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि विधानसभा भंग करने का फैसला संवैधानिक संकट से बचने के लिए लिया गया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए, लेकिन चुनाव की अधिसूचना जारी होने के कारण सत्र बुलाना संभव नहीं था।
विपक्षी दलों ने विधानसभा भंग करने के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह फैसला लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और इससे राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ेगी।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि विधानसभा भंग करने का फैसला गलत है और इससे राज्य में विकास कार्य प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है और हम राज्य में विकास के मुद्दों को उठाएंगे।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। राजनीतिक दल चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों का चयन कर रहे हैं और चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में नई सरकार का गठन होगा।
इस बीच, राज्य में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता चुनाव के लिए अपनी तैयारी कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने उम्मीदवारों का चयन शुरू कर दिया है, जबकि कांग्रेस पार्टी और इनेलो भी अपने उम्मीदवारों का चयन कर रहे हैं।
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में नई सरकार का गठन होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी सरकार बनाने में सफल होती है।