हरियाणा में नौकरियों में 5 नंबर आरक्षण असंवैधानिक घोषित: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को पलटा; 23 हजार नियुक्तियां अटकीं
हरियाणा सरकार ने कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) में 1.80 लाख सालाना आय वाले परिवारों को यह आरक्षण दिया था। जिसमें परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) वाले युवाओं को ही इसका लाभ दिया गया था।
इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इसे खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था- यह एक तरह से आरक्षण देने जैसा है। जब राज्य सरकार पहले ही आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के तहत आरक्षण का लाभ दे चुकी है तो फिर यह कृत्रिम श्रेणी क्यों बनाई जा रही है।
हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। सरकार ने परीक्षा आयोजित करने वाले हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) के जरिए सुप्रीम कोर्ट में 4 याचिकाएं दायर की थीं।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से वर्ष 2023 में जारी ग्रुप सी और डी में नियुक्ति पाने वाले 23 हजार युवाओं को दोबारा परीक्षा देनी होगी। अगर वे पास नहीं हो पाते हैं तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा...
1. कोई डाटा नहीं, कोई आयोग नहीं बनाया
हाईकोर्ट ने बोनस अंकों के खिलाफ सुनवाई करते हुए कहा था कि युवाओं को यह लाभ देने से पहले न तो कोई डाटा जुटाया गया और न ही कोई आयोग बनाया गया। अगर ऐसा हुआ तो पहले सीईटी में 5 बोनस अंक और फिर भर्ती परीक्षा में आरक्षण के अनुसार 2.5 अंकों का लाभ मिलने से पूरा भर्ती परिणाम ही बदल जाएगा।
2. पीपीपी को आधार बनाना संविधान के खिलाफ
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) को आधार बनाने पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि इसमें सिर्फ पीपीपी धारकों को ही योग्य माना गया है, जो संविधान के मुताबिक सही नहीं है।
3. सरकारी नियुक्ति में लाभ एक राज्य तक सीमित नहीं हो सकते
हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकारी नियुक्ति में कोई भी लाभ एक राज्य के लोगों तक सीमित नहीं हो सकता। संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 तथा नीति निर्देशक तत्व पूरे भारत में लागू हैं। जहां सभी नागरिकों को रोजगार पाने का अधिकार है, वहां राज्य सरकार को सार्वजनिक रोजगार में नागरिकता के आधार पर विशेष आरक्षण लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
हाईकोर्ट ने नए सिरे से आवेदन मंगाने को कहा था
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सभी पदों पर भर्ती के लिए नए सिरे से आवेदन मंगाने को कहा था। सरकार को 6 महीने में भर्ती पूरी करने को कहा था। हाईकोर्ट ने कहा था कि बोनस अंक प्रक्रिया के तहत भर्ती किए गए 23 हजार कर्मचारियों को फिलहाल नौकरी पर रखा जाए। दोबारा जांच में योग्य नहीं पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त किया जाए।