Haryana News: हरियाणा में जल प्रबंधन की महेनत लाई रंग, अब अपर यमुना बेसिन से मिलेगा इतने करोड़ लीटर अतिरिक्त पानी
Mar 2, 2024, 08:00 IST

Haryana News: बैराज बनाने की परियोजना पर बातचीत शुरू
पानीपत के निकट मावी में भी हरियाणा ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ मिलकर एक बैराज बनाने की परियोजना पर बातचीत शुरू की है। भौगोलिक स्थिति अनुकूल होने से यहां से तीनों राज्यों को उनके हिस्से के हिसाब से अधिक मात्रा में यमुना का पानी मिल सकता है। बेकार जाने वाले पानी की मात्रा को सीमित करने से यमुना में आने वाली बाढ़ से बचाव में भी हो सकेगा।
Haryana News: जान-माल के नुकसान को रोकने
अभी तक सरकार का पूरा फोकस हर साल आने वाली बाढ़ से जान-माल के नुकसान को रोकने पर रहता है। बाढ़ से किसान की करोड़ों रुपये की फसलें नष्ट हो जाती हैं जिससे मुआवजे के लिए सरकारी खजाने पर अतिरिक्त भार आता है। इस वर्ष सरकार अब तक फसलों को हुए नुकसान के लिए 131 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि जारी कर चुकी है।Haryana News: मुख्यमंत्री ने भूजल संरक्षण की दिशा में किया काम
पानी की आपूर्ति में वृद्धि करने के लिए दूसरा काम मुख्यमंत्री ने भूजल संरक्षण की दिशा में किया है। प्रदेश में सिंचाई के लिए 80 प्रतिशत भूजल का इस्तेमाल होता है। इससे भूजल खतरनाक स्तर तक नीचे पहुंच गया है। भूजल प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए अटल भूजल योजना के माध्यम से भूजल संरक्षण पर बल दिया जा रहा है। 723 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है जिससे 14 जिलों के 36 ब्लाकों की 1656 ग्राम पंचायतों के भू-जलस्तर में सुधार लाया जाएगा।Haryana News: सूक्ष्म सिंचाई से बचेगा 40 से 50 प्रतिशत पानी
भूजल की खपत कम करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई के बुनियादी ढांचे को विकसित करते हुए किसानों को 85 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। सूक्ष्म सिंचाई से पानी की 40 से 50 प्रतिशत खपत कम हो जाएगी। पिछले 10 साल में करीब आठ लाख एकड़ कृषि भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत लाया जा चुका है, जबकि उससे पहले 37 वर्षों में सिर्फ ढाई लाख एकड़ जमीन में सूक्ष्म सिंचाई शुरू हो पाई थी।Haryana News: साढ़े पांच हजार तालाब होंगे पुनर्जीवित
प्रदेश के 5454 तालाबों को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए हरियाणा पौंड एंड वेस्ट वाटर मैनेजमेंट अथारिटी बनाई गई है। वहीं, अंबाला, यमुनानगर, करनाल जैसे धान की खेती करने वाले 12 प्रमुख जिलों में धान की सीधी बुवाई (डीएसआर) पद्धति को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस पद्धति से पानी की खपत 15-20 प्रतिशत कम हो जाती है। धान की सीधी बुवाई के लिए किसानों को सरकार चार हजार रुपये एकड़ की प्रोत्साहन राशि दे रही है। इस पद्धति से दो करोड़ से अधिक क्यूबिक मीटर पानी संरक्षित करने में सफलता मिली है।Haryana News: उपचारित जल की बूंद-बूंद का होगा इस्तेमाल
सीवेज के पानी के ट्रीटमेंट के बाद इस्तेमाल को बढ़ाने में भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विशेष पहल की हैं। इस पानी का इस्तेमाल कृषि और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए हो रहा है। अभी तक 176 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण हो चुका है जिनमें 2104 मिलियन लाख प्रतिदिन (एमएलडी) अपशिष्ट जल का ट्रीटमेंट किया जा सकता है। इससे 1429 एमएलडी उपचारित पानी प्राप्त हो रहा है।