राम रहीम ने 11वीं बार मांगी इमरजेंसी पैरोल : हरियाणा में बढ़ा सियासी तापमान
Haryana: हरियाणा चुनाव के बीच साध्वियों के यौन शोषण और हत्या के मामले में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम ने सरकार से इमरजेंसी पैरोल मांगी है। राम रहीम ने जेल विभाग को आवेदन देकर 20 दिन की पैरोल मांगी है। इस दौरान उसने उत्तर प्रदेश के बरनावा आश्रम में रहने की बात कही है। राम रहीम 13 अगस्त को 21 दिन की फरलो पर बाहर आया था।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगी हुई है। इसके चलते सरकार ने राम रहीम का आवेदन मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) को भेज दिया। मुख्य चुनाव अधिकारी ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर पैरोल को लेकर सवाल पूछे हैं।
पत्र में पूछा गया है कि चुनाव के समय किसी दोषी को पैरोल पर रिहा करना कितना सही है? डेरा प्रमुख फिलहाल हरियाणा के रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। चुनाव के लिहाज से हरियाणा के सिरसा, अंबाला, कुरुक्षेत्र और हिसार जिलों में राम रहीम का काफी प्रभाव है। इन चार जिलों में करीब 36 विधानसभा सीटें हैं।
हरियाणा में 5 अक्टूबर को मतदान होना है। 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।
राम रहीम को जेल गए 7 साल हो चुके हैं, लेकिन वह 10 बार बाहर आ चुका है।
इसलिए आयोग ने सरकार से पूछा
जेल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सामान्य परिस्थितियों में पैरोल मांगने के लिए कारण बताने की जरूरत नहीं होती। सिर्फ इमरजेंसी पैरोल के लिए कारण बताना जरूरी है।
राम रहीम के पास साल 2024 में 20 दिन की पैरोल बची है। अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर पैरोल की मंजूरी डिवीजनल कमिश्नर स्तर पर दी जाती है। हालांकि, आचार संहिता के चलते जेल विभाग ने यह मामला मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास भेज दिया है।
राम रहीम को 2 मामलों में सजा, एक में बरी
राम रहीम को 2 साध्वियों के यौन शोषण मामले में 25 अगस्त 2017 को दोषी ठहराया गया था। उसे इसी साल 27 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में उसे 28 अगस्त 2017 को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।
जिसके बाद से वह रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे 11 जनवरी 2019 को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और 17 जनवरी 2019 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
उसे 2021 में रणजीत सिंह हत्याकांड में भी दोषी ठहराया गया था और उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। हालांकि, इसी साल 28 मई को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उसे इस मामले में बरी कर दिया था।
चुनाव के दौरान पैरोल के लिए यह नियम
चुनाव आचार संहिता के दौरान किसी दोषी को पैरोल देने से पहले सरकार को नियमों के तहत चुनाव आयोग से पूछना होता है। नियमों के अनुसार, यदि सरकार को लगता है कि किसी सजायाफ्ता अपराधी को पैरोल पर रिहा करना जरूरी है, तो उसे पैरोल देने से पहले राज्य के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से परामर्श करना चाहिए।