बलात्कार पीड़िता को गर्भपात से इनकार, वह बच्चे को जन्म देने के लिए अस्पताल चुन सकती है - हाईकोर्ट
पीजीआई चंडीगढ़ को ऐसी व्यवस्था करने को कहा गया है कि मां और बच्चे की पहचान गुप्त रहे। साथ ही कहा गया है कि बच्चे के जन्म तक होने वाला खर्च दुष्कर्म पीड़िता या उसके माता-पिता से न लिया जाए। लड़की की शिकायत पर हिसार में एक युवक के खिलाफ दुष्कर्म और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पीड़िता ने गर्भपात की अनुमति मांगी थी
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि अगर पीड़िता जन्म के बाद बच्चे को नहीं रखना चाहती है तो उसे हिसार बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाए।
हिसार में दर्ज हुआ था दुष्कर्म का मामला
पीड़िता ने हाईकोर्ट को बताया था कि पीड़िता महज 21 साल की है। अगर वह इस बच्चे को जन्म देती है तो उसे समाज में कभी सम्मान नहीं मिलेगा। जब बच्चा बड़ा होगा तो उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होगा।
भ्रूण 27 सप्ताह का है
हाईकोर्ट को बताया गया कि भ्रूण 24 सप्ताह की अवधि पूरी कर चुका है और अब करीब 27 सप्ताह का हो चुका है। ऐसे में स्थानीय प्रशासन ने गर्भपात की अनुमति नहीं दी है।
बता दें कि अगर गर्भ 24 सप्ताह से अधिक हो जाता है तो गर्भपात की अनुमति कोर्ट से लेनी होती है। हाईकोर्ट के निर्देश पर हिसार जिला अस्पताल का एक बोर्ड बनाया गया, जिसने जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश की। सभी विशेषज्ञों की रिपोर्ट देखने और पूर्व में ऐसे मामलों की जांच करने के बाद हाईकोर्ट ने अनुमति देने से इनकार कर दिया।
मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट आई थी कि करीब 70 फीसदी संभावना है कि अगर अभी ऑपरेशन किया जाए तो बच्चा जीवित पैदा होगा और विशेष निगरानी में रखने पर स्वस्थ जीवन जीएगा। इन तथ्यों को समझने के बाद गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई।