Haryana Govt Employees: हरियाणा में अस्थायी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, सरकार ला रही है स्थायी करने की नीति
हरियाणा में लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और नतीजे आने वाले हैं, वहीं विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा सरकार ने बड़े स्तर पर कर्मचारियों के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार अस्थायी कर्मचारियों के लिए बड़ा ऐलान कर सकती है। हरियाणा में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनाने के लिए भाजपा ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं।
प्रदेश में तीसरी बार कमल खिलाने की जिम्मेदारी अब मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी पर आ गई है। लोकसभा चुनाव के मतदान के बाद से ही सैनी ने अधिकारियों के साथ बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। शुरुआती तौर पर अस्थायी कर्मचारियों के लिए नीति पर विचार किया गया है। इनमें सरकार अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि पांच साल की सेवा वालों को मौका दिया जाए या 7 साल की सेवा वालों को। अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने के लिए कर्मचारी यूनियन और अस्थायी कर्मचारी कई बार आंदोलन कर चुके हैं।
खासकर नगर निगम, राजस्व विभाग, शिक्षा विभाग, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, स्वास्थ्य विभाग में अस्थायी कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है। सबसे लंबा आंदोलन सफाई कर्मचारियों का रहा है। ठेकेदारों के माध्यम से नियुक्त कर्मचारी पिछले पांच साल से सड़कों पर हैं और कई बार शहरी स्थानीय निकाय मंत्री के आवास पर धरना भी दे चुके हैं। इसके अलावा 12,500 अतिथि शिक्षक भी 14 साल से स्थायी होने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि सरकार ने कई बार उनका वेतन बढ़ाया है और अन्य सेवाएं देने पर भी विचार कर रही है।
इसके बावजूद अतिथि शिक्षक स्थायी नौकरी के लिए सड़कों पर हैं। फिलहाल हरियाणा सरकार ने अनुबंध के माध्यम से नियुक्त अस्थायी कर्मचारियों को हरियाणा कौशल रोजगार निगम में समायोजित कर रखा है। यहां करीब 1.13 लाख कर्मचारियों को समायोजित किया गया है। जबकि बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी हैं जो अभी तक इस योजना से जुड़ नहीं पाए हैं।
नीति के तहत आउटसोर्सिंग नीति-1 और नीति-2 के तहत हरियाणा में भर्तियां की गई हैं। राज्य के मुख्य सचिव दो बार विभागों से अस्थायी कर्मचारियों का डाटा मांग चुके हैं। पहले उन कर्मचारियों का ब्योरा मांगा गया था जिन्होंने सात साल की सेवा पूरी कर ली है, बाद में पांच साल की सेवा पूरी करने वालों का ब्योरा भी मांगा गया। अब समस्या यह है कि कौशल निगम में समायोजित कर्मचारियों का क्या होगा। क्योंकि उनका कार्यकाल हर साल एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया जाता है।