HSSC : हरियाणा में ग्रुप सी भर्ती में फिर फंसा पेंचः HSSC वही फॉर्मूला लागू कर रहा है जिसे हाईकोर्ट ने किया खारिज

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) द्वारा ग्रुप सी के 15,755 पदों पर नई भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट करने का फार्मूला विवादों में घिरने लगा है। दरअसल, आयोग ने अंकों के बजाय पदों के हिसाब से समान शैक्षणिक योग्यता के आधार पर अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट करने की योजना बनाई है।
 
HSSC : हरियाणा में ग्रुप सी भर्ती में फिर फंसा पेंचः HSSC वही फॉर्मूला लागू कर रहा है जिसे हाईकोर्ट ने किया खारिज

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) द्वारा ग्रुप सी के 15,755 पदों पर नई भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट करने का फार्मूला विवादों में घिरने लगा है। दरअसल, आयोग ने अंकों के बजाय पदों के हिसाब से समान शैक्षणिक योग्यता के आधार पर अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट करने की योजना बनाई है। शॉर्टलिस्टिंग का यह वही तरीका है, जिसे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। ऐसे में अगर आयोग इस फार्मूले पर चलता है तो मामला कोर्ट में पहुंचने पर पूरी भर्ती बाधित हो सकती है।

हालांकि, आयोग के अधिकारी अभी इस पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। सिलसिलेवार तरीके से जानिए पूरा मामला आयोग ने पदों को बढ़ाकर जारी की भर्ती एचएसएससी ने इस बार पदों को बढ़ाकर ग्रुप सी के पदों के लिए भर्ती जारी की है। पहले यह भर्ती 12,310 पदों पर होनी थी। इसके बाद इसमें 2 हजार पद और जोड़कर इसे 15 हजार 755 कर दिया गया। इसके लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है। आयोग इसकी परीक्षा कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) के तहत कराएगा।

शॉर्टलिस्टिंग के लिए यह बनाया गया फार्मूला
आयोग ने भर्ती विज्ञापन में स्पष्ट किया कि परीक्षा एक साथ ही होगी। हालांकि, शॉर्टलिस्ट किए जाने वाले अभ्यर्थियों का चयन पदों के हिसाब से होगा। इसमें अगर किसी विभाग में 30 पद हैं तो 5 गुना अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। अगर पदों की संख्या 30 से 40 के बीच है तो 150 और अगर 40 से ज्यादा है तो 4 गुना अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। सीईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर शॉर्टलिस्टिंग की जाएगी।

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श्रेणी और ग्रुप के कारण विवाद
शॉर्टलिस्टिंग की प्रक्रिया में विवाद की वजह आयोग की श्रेणी या ग्रुप है। आयोग सिविल सेवा की तरह सीधी परीक्षा लेकर एक समान मेरिट नहीं ला रहा है। इसकी जगह अभ्यर्थियों से आवेदन करते समय विभागों के हिसाब से बनी श्रेणी और ग्रुप चुनने को कह रहा है।

इस विवाद को ऐसे समझें...
मान लीजिए अभ्यर्थियों की शैक्षणिक योग्यता एक जैसी है। यदि किसी अभ्यर्थी को अच्छे अंक मिलते हैं, लेकिन कम पदों के कारण वह अपनी पसंद की श्रेणी या समूह में शॉर्टलिस्ट नहीं होता है। यदि उन्होंने दूसरी श्रेणी या समूह को विकल्प के रूप में नहीं भरा, लेकिन उनके अंक वहां विकल्प भरने वाले शॉर्टलिस्ट किए गए अभ्यर्थियों से अधिक हैं, तो उन्हें सरकारी नौकरी का मौका नहीं मिलेगा।

हाईकोर्ट ने इस कारण खारिज किया था फार्मूला

सीईटी परीक्षा को लेकर दायर याचिका में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने आयोग की मेरिट के आधार पर शॉर्टलिस्ट करने की पद्धति को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि आयोग के हलफनामे में कहा गया था कि 63 समूहों में विभाजित 401 श्रेणियों के विज्ञापन में समान शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता है।

इसमें आवेदन के समय विकल्प दिया गया था कि वे योग्यता और अनुभव के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों या समूहों के लिए आवेदन कर सकते हैं। हाईकोर्ट का मानना ​​था कि जब शैक्षणिक योग्यता एक ही है, तो श्रेणी और समूह जैसे विकल्प रखने की क्या आवश्यकता है?

सीईटी में सामान्य वर्ग के लिए पासिंग मार्क्स 48.75, आरक्षित वर्ग के लिए 39

आयोग द्वारा नई भर्ती के लिए आयोजित सीईटी परीक्षा में पासिंग मार्क्स के लिए भी निर्णय लिया गया है। इसमें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 48.75 अंक तथा आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 39 अंक लाने होंगे।

इन पदों के लिए लिखित परीक्षा जुलाई 2024 में पूरी कराने की तैयारी की जा रही है। परीक्षा में कुल 100 प्रश्न होंगे। प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए 0.975 अंक दिए जाएंगे। ओएमआर शीट में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए 5 विकल्प होंगे। 5 विकल्पों में से एक को भरना होगा। यदि पांचों विकल्प खाली छोड़े जाते हैं तो प्रत्येक खाली प्रश्न के लिए 0.975 अंक दिए जाएंगे।

बोनस अंकों के बिना होगी भर्ती
ग्रुप सी की यह भर्ती बिना बोनस अंकों के होगी। हरियाणा सरकार सामाजिक-आर्थिक आधार पर 1.80 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवारों के अभ्यर्थियों को 5 बोनस अंक देती थी। इसमें यह भी शर्त थी कि उनके परिवार में पहले से कोई सरकारी नौकरी में न हो।

लेकिन, हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक तरह का कृत्रिम आरक्षण है। हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद सरकार को अपना फैसला पलटना पड़ा।

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