बच्चों की परवरिश में पिता का साथ क्यों जरूरी है? एक-दो नहीं, हैं 6 फायदे, मां के प्यार से न करें तुलना
बच्चे के पालन-पोषण में मां और पिता दोनों का हाथ होता है। कई लोगों की धारणा होती है कि बच्चे के पालन-पोषण की पूरी जिम्मेदारी मां की होती है, लेकिन आपको बता दें कि अगर बच्चे को मानसिक रूप से मजबूत बनाना हो या जीवन में चुनौतियों का सामना करना हो, तो यहां पिता की जिम्मेदारी आती है। इतना ही नहीं, पिता के पूर्ण सहयोग से बच्चों के व्यक्तित्व में निखार लाने वाले और भी कई फायदे हैं।
बच्चे के पालन-पोषण में मां और पिता दोनों का हाथ होता है। कई लोगों की धारणा होती है कि बच्चे के पालन-पोषण की पूरी जिम्मेदारी मां की होती है, लेकिन आपको बता दें कि अगर बच्चे को मानसिक रूप से मजबूत बनाना हो या जीवन में चुनौतियों का सामना करना हो, तो यहां पिता की जिम्मेदारी आती है। इतना ही नहीं, पिता के पूर्ण सहयोग से बच्चों के व्यक्तित्व में निखार लाने वाले और भी कई फायदे हैं।
उदाहरण के लिए, पाया गया है कि जब पिता बच्चों के साथ होते हैं और स्वतः घटित होने वाली घटना में उनका साथ देते हैं, तो बच्चों को सबसे ज्यादा प्रेरणा मिलती है और उनका निजी अनुभव होता है। पिता के आने से न सिर्फ उनका आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि उनमें शिक्षा और नैतिकता का महत्व भी बढ़ता है। वे नए वातावरण में जाने की हिम्मत करते हैं, नई गतिविधियों में इतिहास रचने की नहीं, रोमांच और नई चीजों के लिए उनमें उत्साह आता है।
जब पिता बच्चों के साथ खेलते हैं, व्यायाम करते हैं या शारीरिक गतिविधियों में उनका साथ देते हैं, तो वे बेहतर तरीके से निखरते हैं। इस तरह की बॉन्डिंग न केवल उनकी शारीरिक क्षमता को दर्शाती है, बल्कि मुश्किल समय में खुद पर भरोसा करने, लोगों का साथ देने, एकता आदि का ज्ञान भी देती है।
जिन बच्चों को अपने पिता का साथ मिलता है, वे अपने पिता से ही समस्या समाधान का हुनर सीखते हैं। इसकी शुरुआत घर में किसी चीज की मरम्मत करने, मुश्किल परिस्थिति में किसी की मदद करने आदि से होती है।
ऐसे बच्चे अपने पिता से ही गंभीर समस्याओं को सुलझाने का हुनर सीखते हैं। उनमें मिश्रित शब्दावली विकसित होती है, भाषा स्वतंत्र होती है। इस तरह उनका आईक्यू भी बढ़ता है। इस तरह बच्चों के रचनात्मक, मानसिक और सामाजिक विकास के लिए पिता का साथ बहुत जरूरी है।