हरियाणा चुनाव: कांग्रेस की जीत की डगर मुश्किल, गुटबाजी ने बढ़ाई मुश्किल
हरियाणा विधानसभा चुनाव: कांग्रेस में गुटबाजी, पार्टी की मुश्किलें बढ़ीं
हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में आंतरिक विवाद और गुटबाजी बढ़ गई है। पार्टी के दो बड़े नेता, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा, एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए हैं।
टिकट वितरण के बाद से ही चुनाव प्रचार के दौरान सैलजा नजर नहीं आ रही हैं। हुड्डा उन पार्टी उम्मीदवारों को समर्थन नहीं कर रहे जिन्हें सैलजा की पैरवी के कारण टिकट मिला है। इससे प्रदेश की 5 सीटों पर पार्टी कमजोर हो गई है।
इन सीटों पर कांग्रेस को 2019 में हार का सामना करना पड़ा था। खास बात यह है कि इन सीटों पर भाजपा के विधायक ही चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से विधानसभा स्पीकर सहित 3 कैबिनेट हरियाणा चुनाव: कांग्रेस की जीत की डगर मुश्किल, गुटबाजी ने बढ़ाई मुश्किलमंत्री हैं।
अंबाला सिटी से हुड्डा गुट के कांग्रेस उम्मीदवार निर्मल सिंह ने अपनी ही बेटी चित्रा सरवारा को अंबाला कैंट विधानसभा से निर्दलीय चुनावी मैदान में उतार दिया है। इससे कांग्रेस कैंडिडेट परविंदर परी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला पहले से ही कड़ा था, क्योंकि यहां से भाजपा ने पूर्व गृह मंत्री अनिल विज को टिकट दिया है।
हिसार में कांग्रेस कैंडिडेट राम निवास राडा को हुड्डा समर्थकों का खुलकर समर्थन नहीं मिल रहा है। इसके अलावा फतेहाबाद विधानसभा में हुड्डा के नजदीकी नेताओं ने बलवान सिंह दौतलपुरिया के प्रचार से दूरी बना ली है।
पंचकूला में पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई और जगाधरी विधानसभा से पूर्व डिप्टी स्पीकर अकरम खान मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन भाजपा से यहां उन्हें सीधी टक्कर मिल रही है। चुनाव प्रचार में दोनों को कुमारी सैलजा की कमी खल रही है।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और मौजूदा सांसद कुमारी सैलजा अंबाला से सांसद रह चुकी हैं। यहां उनका अपना जनाधार भी है। लेकिन अब उनकी अनुपस्थिति में पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की डगर काफी मुश्किल हो गई है। पार्टी के आंतरिक विवाद और गुटबाजी ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।