राव इंद्रजीत का फिर वीटो पावर इस्तेमालः 7 सीटों पर दावेदारी; 5 सीटों पर केंद्रीय नेतृत्व राजी
हरियाणा विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में घमासान मचा हुआ है। इसका असर भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले अहीरवाल बेल्ट में ज्यादा देखने को मिल रहा है। यहां के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह टिकट वितरण के मामले में पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। अहीरवाल की 11 सीटों पर राव इंद्रजीत सिंह की पकड़ है, जिसके आधार पर राव 7 सीटों पर अपने समर्थकों का हक जता रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व उनकी सहमति से 5 सीटों पर उम्मीदवार उतारने को तैयार है, लेकिन राव अपने राजनीतिक धुर विरोधियों से निपटने के लिए कुछ और शर्तें रख रहे हैं।
अहीरवाल की 3 सीटें ऐसी हैं, जिन्हें भाजपा शीर्ष नेतृत्व मजबूत उम्मीदवार मानकर चुनाव मैदान में उतारने को तैयार है। इन सीटों पर राव इंद्रजीत सिंह चाहते हैं कि उनकी पसंद और संगठन दोनों को ही महत्व मिले। असल लड़ाई अहीरवाल बेल्ट के विरोधियों से निपटने की है
राव इंद्रजीत सिंह की नाराजगी का पहला कारण उनकी बेटी आरती राव की टिकट को लेकर माना जा रहा था, लेकिन हकीकत यह है कि पार्टी नेतृत्व ने शुरू से ही आरती राव को टिकट देने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। राव इंद्रजीत सिंह की असली लड़ाई अहीरवाल बेल्ट में अपने राजनीतिक विरोधियों से निपटकर अपने समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिलाने की रही है।
भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अगर राव इंद्रजीत सिंह नाराज नहीं होते तो 27 या 28 अगस्त को ही प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हो सकती थी।
राव ने कई सीटों पर जीत की गारंटी दी
राव की नाराजगी को भाजपा ने पहले ही भांप लिया था। इसके बाद राव को प्राथमिकता दी गई। सूत्र यह भी बताते हैं कि राव इंद्रजीत सिंह ने जिन सीटों पर अपने समर्थकों के लिए टिकट मांगे, उन सीटों पर जीत की गारंटी भी पार्टी नेतृत्व से मांगी है। अहीरवाल बेल्ट की दो सीटें उनकी साख का सवाल बनी हुई हैं। इनमें से एक पटौदी और दूसरी बावल सीट है। ये दोनों सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और इन पर रामपुरा हाउस यानी राव इंद्रजीत सिंह के परिवार का दबदबा रहा है।
राव की इन चारों सीटों में खास दिलचस्पी
नारनौल, बावल, कोसली, पटौदी ऐसी सीटें हैं, जहां मौजूदा विधायकों का टिकट कटना लगभग तय है। राव इंद्रजीत सिंह की इन चारों सीटों में खास दिलचस्पी है। हाल ही में गुरुग्राम में हुई भाजपा की बैठक में 90 सीटों के प्रत्याशियों को लेकर लंबी चर्चा हुई, लेकिन पैनल में अपने समर्थकों के नाम शामिल न होने से राव इंद्रजीत सिंह नाराज हो गए। जिसके बाद शीर्ष नेतृत्व ने पूरे मामले में हस्तक्षेप किया।
वीटो का इस्तेमाल कर पैनल में शामिल कराए नाम
राव इंद्रजीत सिंह ने न सिर्फ वीटो पावर का इस्तेमाल कर अपने समर्थित नेताओं के नाम पैनल में शामिल कराए, बल्कि एक दिन पहले केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भी इन नामों पर चर्चा हुई। भाजपा की ओर से हरियाणा की 90 में से 55 सीटों के प्रत्याशियों के नाम लगभग फाइनल कर दिए गए हैं।
इनमें अहीरवाल बेल्ट में राव इंद्रजीत सिंह की पसंद के कुछ उम्मीदवार भी शामिल हैं। हालांकि अमित शाह की रैली के कारण उम्मीदवारों की सूची रोक दी गई है।
बादशाहपुर में सुधा शीर्ष पर
गुरुग्राम जिले की बादशाहपुर सीट भी अहीरवाल बेल्ट में आती है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और मौजूदा सीएम नायब सैनी के सबसे करीबी राव नरबीर सिंह इस सीट के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। इसके अलावा खट्टर के पूर्व ओएसडी जवाहर यादव, मनीष यादव भी टिकट मांग रहे थे, लेकिन राव इंद्रजीत सिंह इस सीट पर अपने ही समर्थक नेता को उतारने के मूड में हैं।
गुरुग्राम में 4 दिन पहले हुई बैठक में भाजपा संसदीय बोर्ड की सदस्य और पूर्व सांसद सुधा यादव द्वारा वरिष्ठ नेताओं के सामने राव नरबीर सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग उठाना उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ।
भाजपा सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व चाहता था कि सुधा यादव बादशाहपुर सीट से चुनाव लड़ें, जिसका राव इंद्रजीत सिंह ने भी किसी तरह से विरोध नहीं किया। इससे साफ है कि राव नरबीर का टिकट काटकर भाजपा बादशाहपुर सीट से सुधा यादव को मैदान में उतार सकती है।
2019 के चुनाव में भी भाजपा ने राव नरबीर सिंह का टिकट काटा था। नरबीर सिंह उस समय मनोहर लाल की कैबिनेट में तीसरे सबसे ताकतवर मंत्री थे। नरबीर सिंह के समर्थकों ने राव इंद्रजीत सिंह पर उनका टिकट कटवाने का आरोप लगाया था।
2019 में भी किया था वीटो पावर का इस्तेमाल
राव इंद्रजीत सिंह 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे। विधानसभा चुनाव में भाजपा के पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने के बाद मनोहर लाल से उनके रिश्ते खराब रहे। 2019 के विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर उन लोगों के टिकट कटवा दिए, जिन्हें मनोहर लाल खट्टर चुनाव लड़ाना चाहते थे।
इसमें बादशाहपुर से राव नरबीर सिंह, रेवाड़ी से रणधीर सिंह कापड़ीवास, अटेली से संतोष यादव समेत कुछ अन्य नेता शामिल थे। हालांकि राव इंद्रजीत सिंह ने रेवाड़ी और बादशाहपुर में अपनी पसंद के उम्मीदवार उतारे, लेकिन भाजपा इन दोनों सीटों पर हार गई।