Mahatma Gandhi:महात्मा गांधी की जीवनदृष्टि का अनुसरण करें

महात्मा गांधी ने नमक खाना हमेशा के लिए छोड़ दिया था क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में सादगी और आत्म-संयम को महत्व दिया था
 
          Mahatma Gandhi:महात्मा गांधी की जीवनदृष्टि का अनुसरण करें

महात्मा गांधी ने नमक खाना हमेशा के लिए छोड़ दिया था क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में सादगी और आत्म-संयम को महत्व दिया था। वह एक साधारण जीवन जीने में विश्वास करते थे और नमक का सेवन करने से बचते थे क्योंकि इससे शरीर में विकार उत्पन्न हो सकते हैं 

गांधी जी का मानना था कि हमें अपने शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए सादगी से जीना चाहिए। वह नमक के अलावा अन्य कई चीजों का सेवन करने से भी बचते थे जो उनके स्वास्थ्य और आत्म-संयम के लिए हानिकारक हो सकती थीं 

इसके अलावा, गांधी जी का नमक के प्रति यह रुख ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर लगाए गए कर के विरोध में भी था। उन्होंने नमक सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसमें उन्होंने नमक कानून के विरोध में समुद्र के पानी से नमक बनाने का अभियान चलाया 

गांधी जी की इस सोच के पीछे उनकी अहिंसा और सत्य की विचारधारा थी, जिसमें उन्होंने अपने जीवन को एक साधारण और संयमित जीवन में समर्पित किया था 

महात्मा गांधी मैट्रिक तक पढ़ने में बहुत कमजोर थे. मैट्रिक की परीक्षा में उन्हें सिर्फ 39 फीसदी अंक मिले थे. दूसरी चीजों में भी वो सामान्य बालकों जैसे ही थे. मसलन अंधेरे से डरने वाला, सांप और भूत प्रेत में विश्वास करने वाला. राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित अपनी किताब ‘गांधी क्यों नहीं मरते’ में चंद्रकांत वानखेड़े गांधी के जीवन से जुड़े दिलचस्प किस्से लिखते हैं. हाईस्कूल में पढ़ाई के दौरान एक बार गांधी के स्कूल में एक अंग्रेज अफसर जांच के लिए आया. उसने विद्यार्थियों को एक सवाल हल करने को दिया. गांधी उस सवाल का जवाब गलत लिख रहे थे.

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