Weather Update: हरियाणा में दोपहर के बाद बदला मौसम का मिजाज, कई जिलों में भारी बारिश..

हरियाणा में लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिली है। दोपहर बाद अचानक बादल छाने के बाद कई जगहों पर बारिश की गतिविधियां दर्ज की गई हैं। हरियाणा के SIRSA सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, भिवानी, जींद, रोहतक, पानीपत, झज्जर, रेवाड़ी आदि जिलों के अलग-अलग इलाकों में बारिश दर्ज की गई है।
 
Weather Update:  हरियाणा में दोपहर के बाद बदला मौसम का मिजाज, कई जिलों में भारी बारिश..

Weather Update: हरियाणा में लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिली है। दोपहर बाद अचानक बादल छाने के बाद कई जगहों पर बारिश की गतिविधियां दर्ज की गई हैं। हरियाणा के SIRSA सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, भिवानी, जींद, रोहतक, पानीपत, झज्जर, रेवाड़ी आदि जिलों के अलग-अलग इलाकों में बारिश दर्ज की गई है।

जून के बाद हरियाणा HARYANA में मानसून का दूसरा महीना जुलाई भी सूखा रहा। 30 जुलाई तक पूरे हरियाणा में मात्र 87 एमएम बारिश दर्ज की गई है, जो सात सालों में जुलाई महीने में दर्ज की गई सबसे कम बारिश है। पर्याप्त बारिश का पानी न मिलने से फसल पीली पड़ने का खतरा मंडरा रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर एक सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं मौसम विभाग ने बुधवार और गुरुवार को पूरे हरियाणा में मध्यम बारिश की संभावना जताई थी। मौसम विभाग ने अगले दो दिनों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया था।

मानसून की निष्क्रियता से सूखे की स्थिति

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आमतौर पर जुलाई JULY में अच्छी बारिश होती है, लेकिन इस सीजन में मानसून की निष्क्रियता के कारण जुलाई में सूखे की स्थिति बन गई। पिछले सालों में जुलाई महीने में अच्छी बारिश हुई है। हरियाणा में अब तक मानसून सीजन में 116 एमएम बारिश हुई है, जो सामान्य से करीब 42 फीसदी कम है। 2023 में 237 एमएम, 2022 में 219 एमएम, 2021 में 256 एमएम, 2020 में 166 एमएम, 2019 में 131 एमएम, 2018 में 146 एमएम बारिश दर्ज की गई।

मौसम विभाग का कहना है कि मानसून की निष्क्रियता के कारण जुलाई में बारिश rain नहीं हुई है। लेकिन अब मानसून के फिर से सक्रिय होने के आसार बन रहे हैं। अब अगले तीन से चार दिन तक हरियाणा में अच्छी बारिश के संकेत हैं। हरियाणा के एक-दो इलाकों में भारी बारिश के भी संकेत हैं। ये जिले रहे सबसे सूखे

IMD मौसम विभाग के अनुसार हरियाणा के सिर्फ दो जिलों को छोड़कर बाकी जिलों में सूखे के हालात बन रहे हैं। सबसे कम बारिश रोहतक और करनाल में दर्ज की गई है। रोहतक और करनाल में सामान्य से 70 फीसदी, अंबाला में 58 फीसदी, भिवानी में 48 फीसदी, कैथल में 51 फीसदी, पंचकूला में 46 फीसदी, सोनीपत में 55 फीसदी और यमुनानगर में 40 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई। सिर्फ महेंद्रगढ़ (32) और फतेहाबाद (16) में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई।

बारिश की कमी से धान उत्पादकों की लागत बढ़ी

बारिश की कमी के कारण धान के साथ-साथ ज्वार, कपास का रकबा भी कम हुआ है। इस बार सोनीपत में धान का रकबा पांच हजार एकड़ कम हुआ है। 2023 में जुलाई के अंत तक 2.25 लाख एकड़ में धान की बुआई और रोपाई हो चुकी थी।

इस बार यह आंकड़ा मात्र 2.12 लाख एकड़ रह गया है, इसके साथ ही हरे चारे की फसल ज्वार का रकबा भी कम हुआ है। इस बार 12 हजार एकड़ में ज्वार की बिजाई हो सकी। वर्ष 2023 में 21 हजार एकड़ में ज्वार की बिजाई हुई।

कपास का रकबा भी कम हुआ है। इस बार 27 सौ एकड़ में कपास की बिजाई हुई है। पिछले साल 4700 एकड़ में कपास की बिजाई हुई थी। बारिश न होने के कारण धान उत्पादक किसानों का खर्च बढ़ गया है।

कम बारिश के कारण इस बार किसानों की धान की फसल को पूरा पानी नहीं मिल सका। इसके कारण धान की रोपाई का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। वहीं, रोहतक में 1.25 लाख एकड़ भूमि पर धान की रोपाई का लक्ष्य रखा गया था, जबकि अब तक 1.50 लाख एकड़ भूमि पर धान की रोपाई हो चुकी है।

लक्ष्य से 25 हजार एकड़ अधिक भूमि पर धान की रोपाई हो चुकी है। कम बारिश के कारण आवक भी कम होगी। जींद में तीन लाख एकड़ में धान की फसल का लक्ष्य रखा गया था। अब तक दो लाख एकड़ में धान की रोपाई हो चुकी है। बारिश न होने के कारण लोगों ने धान की रोपाई का काम रोक दिया है।

एक सप्ताह तक बारिश न हुई तो होगा नुकसान

HARYANA हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र विशेषज्ञ डॉ. रमेश चंद्र वर्मा ने बताया कि यदि जल्द ही अच्छी बारिश नहीं हुई तो धान की फसल को काफी नुकसान होगा। कारण यह है कि इस समय धान की फसल में घास उगने लगी है और पर्याप्त पानी न मिलने के कारण पौधे अंकुरित नहीं हो पा रहे हैं।

यदि पौधे अंकुरित नहीं हुए तो धान की फसल और अधिक पीली पड़ जाएगी। यदि अगले एक सप्ताह तक बारिश नहीं हुई तो धान की फसल को काफी नुकसान होगा। किसानों को सलाह है कि धान की फसल को बचाने के लिए फिलहाल हल्का पानी दें। इस दौरान अधिक पानी न दें।

धान के साथ मूंग और ग्वार की फसल भी प्रभावित

HAU एचएयू के मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एमएल खीचड़ ने बताया कि बारिश में देरी से सबसे अधिक नुकसान मूंग और ग्वार की फसल को हुआ है। ये फसलें ऐसे इलाकों में लगाई जाती हैं, जहां सिंचाई की सुविधा कम है।

कपास और धान सिंचित इलाकों में लगाई जाने वाली फसलें हैं। किसान इन फसलों की सिंचाई कर रहे हैं। सिंचाई पर किसानों का खर्च बढ़ गया है। अगर अगले तीन-चार दिनों में बारिश होती है, तो फसलों को फायदा होगा। फसलों की ग्रोथ तेज होगी। मौसम विभाग ने 31 जुलाई से 2 अगस्त तक बारिश की संभावना जताई है।

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