Trending: कश्मीर से धारा 370 हटाने का फैसला सही है या गलत? चार साल 4 महीने 6 दिन बाद आज आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
Dec 11, 2023, 10:08 IST
Trending: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज अहम फैसला सुनाएगा. 5 अगस्त, 2019 को संसद ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को समाप्त कर दिया, साथ ही राज्य को दो भागों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 अर्जियां दाखिल की गईं, सभी पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने सितंबर में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज फैसले की घड़ी आ गई है. यानी 370 हटने के 4 साल 4 महीने 6 दिन बाद आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा कि केंद्र सरकार का फैसला सही था या गलत. Also Read: Cultivation of gram: चने की बंपर पैदावार के लिए खेत में करें ये 4 काम Trending: सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ यह फैसला सुनाएगी. शीर्ष अदालत के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं।
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sc Trending: पांच जजों की संविधान पीठ ने पूछे सवाल:
क्या अनुच्छेद 370 संविधान में स्थायी प्रावधान बन गया? क्या धारा 370 स्थायी प्रावधान बन जाने पर संसद के पास इसमें संशोधन करने की शक्ति है? क्या संसद को राज्य सूची की किसी भी वस्तु पर कानून बनाने की शक्ति नहीं है? एक केंद्र शासित प्रदेश कब तक अस्तित्व में रह सकता है? संविधान सभा की अनुपस्थिति में धारा 370 को हटाने की सिफारिश कौन कर सकता है? Also Read: Subsidy: कृषि यंत्रों पर सरकार दे रही 50 से 80% सब्सिडी, जल्दी आवेदन करेंTrending: याचिकाकर्ताओं की दलीलें:
अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था जो स्थायी हो गया: अनुच्छेद 370 स्थायी हो गया क्योंकि अनुच्छेद 370 में बदलाव करने के लिए संविधान सभा की सिफारिश की आवश्यकता होती थी लेकिन 1957 में संविधान सभा ने काम करना बंद कर दिया। Trending: केंद्र ने निभाई संविधान सभा की भूमिका: याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि संविधान सभा की अनुपस्थिति में, केंद्र ने अप्रत्यक्ष रूप से संविधान सभा की भूमिका निभाई और राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से शक्तियों का प्रयोग किया। राज्य सरकार की सहमति नहीं: संविधान जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में किसी भी कानून में बदलाव करते समय राज्य सरकार की सहमति को अनिवार्य बनाता है। ध्यान रहे कि जब अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन था और राज्य सरकार की कोई सहमति नहीं थी. Also Read: Tips for Farmer’s: बंजर या बिरानी जमीन पर किसान करें ये कार्य, होगा बम्पर मुनाफा Trending: राज्यपाल की भूमिका: याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना विधान सभा को भंग नहीं कर सकते थे। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि केंद्र ने जो किया है वह संवैधानिक रूप से स्वीकार्य नहीं है और अंतिम उपाय को उचित नहीं ठहराता है। है।
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